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प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के ऑफिस टाइम टेबल के अनुसार खुलता और बंद होता है साइबर थाना

साइबर फ्रॉड से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान भी नहीं जाता है चलाया

समस्तीपुर साइबर थाना का प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ऑफिस की तरह संचालन किया जा रहा है। साइबर थाना पदाधिकारी व कर्मियों के मनमर्जी के हिसाब से खुलता है और उसके बाद बंद हो जाता है। जबकि थाने को 24×7 खुला रहना है, लेकिन थाना, ऑफिस टाइम के हिसाब से सुबह के नौ बजे खुलता है और फिर रात के लगभग आठ बजे बंद हो जाता है। जबकि साइबर थाना में लगभग नौ पदाधिकारी पदास्थापित हैं। बता दें कि साइबर थाने में थाना इंचार्ज के रूप में एक डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी के अलावा चार इंस्पेक्टर, तीन एएसआई, एक प्रोगामर, दो सिपाही, तीन डाटा इंट्री ऑपरेटर व एक चालक सिपाही के पद सृजित हैं, लेकिन इसमें एक डीएसपी, तीन इंस्पेक्टर, एक एसआई, एक सिपाही, एक मुंशी, दो कंप्यूटर ऑपरेटर ही तैनात हैं। साइबर थाना के ऑफिस टाइम टेबल के हिसाब से खुलने पर लोगों को परेशानी होती है, खासकर नौकरी-पेशा लोगों को साइबर थाना के ऑफिस टाइम टेबल से खुलने और बंद रहने के कारण वापस लौटना पड़ता है।

जिले में कहने को साइबर थाना बन गया है, लेकिन अभी तक थाना का अपना भवन नहीं है। इस कारण अभी भी महिला थाना भवन के ऊपर साइबर थाना संचालित हो रहा है। इतना ही नहीं, इस थाना के पास अपना हाजत भी नहीं है। इस कारण जरूरत पड़ने पर उसे अन्य थानों के हाजत पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं थाना में सृजित पद के मुकाबले काफी कम पदाधिकारी व कर्मी पदास्थापित हैं। जहां थाने को 24×7 खुला रहना है, लेकिन साइबर थाना खुलने का एक अपना अलग ही टाइम-टेबल है। साइबर थाना खुलने के बाद अभी तक साइबर फ्रॉड से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। लोग जागरूकता के आभाव में साइबर फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं, लेकिन जिले में साइबर फ्रॉड से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है। वहीं इस थाने में अपना भवन व हाजत नहीं होने के कारण भी परेशानी होती है।

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