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साइबर अपराधियों में नहीं रहा पुलिस का खौफ, डीआईजी और एसपी के नाम से बनाया फर्जी फेसबुक अकाउंट

फेक फेसबुक अकाउंट से आधे से कम दामों में कीमती फर्नीचर बेचने के फ्रॉड का कर रहे प्रयास

डीआईजी बाबूराम के नाम से तीन और एसपी विनय तिवारी के नाम से चल रहा एक फेक अकाउंट, डीआईजी ने ऑथेंटिक प्रोफाइल से लोगों को किया आगाह

लोगों को फेसबुक मैसेज भेज मांगा जा रहा है उनका मोबाइल नंबर

बढ़ते टेक्नोलॉजी के इस दौर में लगभग हर कोई मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग कर रहा है। हर हाथ में मोबाइल आ जाने से खाने-पीने के समान के साथ-साथ अब लगभग हर चीज ऑनलाइन और होम डिलीवरी की सुविधा का लाभ इंटरनेट उपयोगकर्ता उठा रहे हैं। इसके साथ ही बिजली बिल जमा करने के साथ-साथ लगभग हर चीज में ऑनलाइन की व्यवस्था है। टेक्नोलॉजी के इस चमत्कारिक युग में लोग ऑनलाइन वर्क कर लाखों रुपए कमा भी रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही जागरूक नहीं रहने के कारण लोग अपने कमाए हुए रुपए गंवा भी रहे हैं। आए दिन ऑनलाइन फ्रॉड की खबरें आती रहती हैं। इसी को देखते हुए राज्य के अन्य जिलों की तरह समस्तीपुर जिले में भी साइबर थाने की शुरआत की गई थी। लगभग एक साल पहले एसपी विनय तिवारी के द्वारा महिला थाना के ऊपरी तल्ले पर स्थित साइबर थाना का उद्घाटन किया गया था। उद्देश्य था कि साइबर थाना खुलने के बाद लोगों को अपनी साइबर फ्रॉड से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। हालांकि अब तक इसका पूर्ण रूपेण लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। बहुत सारे मामलों में वरीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद साइबर थाना में मामला दर्ज हो पाता है। कई मामलों में पुलिस साइबर अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है, क्योंकि टेक्नोलॉजी का प्रयोग का साइबर अपराधी अपने आईपी एड्रेस और लोकेशन को छुपाए हुए रहते हैं। इस कारण पता नहीं चल पाता है कि साइबर अपराधी आपके गली-मोहल्ले में बैठे हुए हैं अथवा सुदूर किसी क्षेत्र से बैठकर फ्रॉड की घटना को अंजाम दे रहे हैं।

डीआईजी बाबूराम के नाम से चल रहा तीन फेक अकाउंट, डीआईजी ने ऑथेंटिक प्रोफाइल से लोगों को किया आगाह

साइबर अपराधी जहां पहले आम लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट को क्लोन कर अथवा फेक आईडी से अपना सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर लोगों को झांसे में लेकर फ्रॉड की घटना करते थे। वहीं अब उनके मन से पुलिस का खौफ पूरी तरह से मिट चुका है और यही कारण है कि साइबर अपराधी अब पुलिस पदाधिकारियों के नाम से फेक अकाउंट बनाकर लोगों के साथ फ्रॉड करने का प्रयास कर रहे हैं। ताजा मामला मिथिला प्रक्षेत्र के डीआईजी बाबू राम का है। बदमाशों ने उनके नाम से उनकी तस्वीर का इस्तेमाल कर फेक फेसबुक आईडी बना लिया है। डीआईजी बाबूराम के द्वारा अपने ऑथेंटिक फेसबुक अकाउंट के माध्यम से इसकी जानकारी दी गई है। जिसमें उन्होंने बताया है कि साइबर अपराधियों के द्वारा उनके नाम से तीन फेसबुक अकाउंट बनाया गया है। जिसका एक फेसबुक अकाउंट आईपीएस बाबू राम के नाम से है और उसके फ्रेंड लिस्ट में 167 लोग जुड़े हुए हैं। दूसरा फेसबुक अकाउंट बाबू राम के नाम से है और उसमें 278 लोग जुड़े हुए हैं। तीसरा फेसबुक अकाउंट आईपीएस बाबूराम के नाम से फेसबुक पेज है और इसमें 163 फॉलोअर जुड़े हुए हैं। आईपीएस बाबू राम ने अपने ऑथेंटिक फेसबुक अकाउंट के माध्यम से लोगों को उनके नाम से चल रहा है फर्जी फेसबुक अकाउंट के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि वह सभी फेसबुक उपयोगकर्ताओं को सूचित करते हुए कहना चाहते हैं कि उनके नाम से किसी व्यक्ति ने द्वितीय धोखाधड़ी करने की मंशा से उनकी तस्वीर व अन्य व्यक्तिगत जानकारियों का उपयोग करते हुए फेसबुक आईडी बनाया है। उन्होंने बताया है कि उनके नाम से बने फर्जी फेसबुक आईडी से संतोष कुमार सीआरपीएफ अधिकारी को उनका अभिन्न मित्र बताकर संतोष कुमार का कीमती फर्नीचर अत्यधिक कम कीमत पर बेचने का मैसेज उनके फेसबुक मित्रों को भेजा जा रहा है। उन्होंने लोगों से इस धोखाधड़ी से बचकर रहने की सलाह दी है। उनके नाम से बने फेक आईडी के माध्यम से मोबाइल नंबर और रुपए आदि की मांग अगर की जाती है तो उसे लोग सावधान रहें और उसके झांसे में न आएं।

विनय तिवारी आईपीएस के नाम से भी चल रहा है फेक फेसबुक अकाउंट

वहीं समस्तीपुर पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी के नाम से भी एक फर्जी फेसबुक अकाउंट इन दिनों चल रहा है। यह फेसबुक अकाउंट विनय तिवारी आईपीएस के नाम से चल रहा है। इसके फ्रेंड लिस्ट में 58 लोग जुड़े हुए हैं। इस फर्जी फेसबुक अकाउंट के माध्यम से भी लोगों को मैसेज भेजा जा रहा है सीआरपीएफ अधिकारी संतोष कुमार उनके मित्र है और उनका ट्रांसफर हो गया है और ऐसी स्थिति में वह अपना कीमती फर्नीचर बहुत ही कम दामों में बेचना चाह रहे हैं। इसलिए लोगों से उनका मोबाइल नंबर भी मांगा जा रहा है। लोगों को दिए जा रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि सीआरपीएफ के ट्रक से वह कीमती फर्नीचर आदि उनके घर तक डिलीवर किया जाएगा। हालांकि यह मामला एसपी विनय तिवारी के संज्ञान में आने के बावजूद भी अभी तक उनके नाम से चल रहा फर्जी फेसबुक अकाउंट के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया गया है। बताते चलें कि टेक्नोलॉजी के जानकारों के अनुसार साइबर थाना रविवार को बंद रहता है और इसी को देखते हुए साइबर अपराधी आमतौर पर रुपए ठगी करने के लिए शनिवार का दिन चुनते हैं। साइबर थाना के ऑनलाइन आंकड़े के अनुसार इस वर्ष 15 अप्रैल तक साइबर क्राइम से संबंधित 14 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं पिछले वर्ष जून से लेकर दिसंबर तक 52 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से अधिकांश मामले ऑनलाइन ठगी, सोशल मीडिया पर अश्लील तस्वीर शेयर करने व फर्जी फेसबुक अकाउंट से संबंधित हैं।

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